College Girlfriend Sex Kahani
फिर मैंने चूची को छोड़ा और उठकर आकांक्षा की पेंटी को उतारा. कसम से बता नहीं सकता कि कितनी प्यारी चुत थी . बिल्कुल पिंक. ऐसा मन कर रहा था कि अभी किस कर लूं, लेकिन वक़्त बहुत हो गया था, तो मैंने सोचा कि अब फाइनल राउंड हो जाए.
बाकी सबके लिए बाद में बहुत टाइम मिलेगा, सो मैंने आकांक्षा की तरफ देखा और आंखों ही आंखों में उससे इजाज़त मांगी . जो उसने दे दी.
इसके बाद मैंने आकांक्षा की दोनों टांगों को खोला और खुद बीच में बैठ गया. मैं अपने लंड को चुत पर रगड़ने लगा.
आकांक्षा कसमसा रही थी और धीरे धीरे सिसकारियां ले रही थी, जिससे मेरा जोश बढ़ता ही जा रहा था.
‘उम्म्ह. अहह. हय. याह. ह्म्म्म . अमन्न आह अआआह आह.’
फिर मैंने इधर उधर देखा, तो तख्त के सिरहाने मुझे पोंड्स क्रीम दिखी. मैंने वो उठाई और थोड़ी अपने लंड पर लगा ली. थोड़ी क्रीम आकांक्षा की गुलाबी चुत पर मल दी. फिर चुत के मुँह पर लंड रख कर आकांक्षा को किस करने लगा.
किस करते करते मैंने एक जोरदार झटका दे मारा, जिससे मेरे लंड का सुपारा चुत के अन्दर चला गया और इसी के साथ आकांक्षा के मुँह से चीख निकल गई- उईईई मां . आह हहहह . कुणाल रहने दो, बहुत दर्द हो रहा है. मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं, मैं मर जाऊंगी, प्लीज छोड़ दो . प्लीज छोड़ दो.
लेकिन मैंने उसकी किसी बातों पर ध्यान नहीं दिया और लंड को पूरा चूत के अन्दर डाल दिया.
उसकी सील टूट चुकी थी क्योंकि मेरा लंड चिपचिपाने लगा था.
वो अभी भी लगातार मुझसे छूटने के प्रयास कर रही थी. उसकी आंखें बंद थीं, लेकिन आंसू उसके गालों पर बह रहे थे.
ये देख कर मैंने थोड़ी देर रुकना ही सही समझा.
मैं अब धक्के नहीं लगा रहा था, पर उसकी गर्दन पर किस कर रहा था. उसके कानों को चुभला रहा था. कभी उसके चूचों को सहलाता, तो कभी मुँह में लेकर चूसने लगता. इसका ये असर हुआ कि आकांक्षा का दर्द कम होने लगा और उसकी चुत भी अन्दर से गीली होने लगी थी.
अब मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए. वैसे तो उसे अभी भी दर्द हो रहा था . लेकिन मज़ा भी आ रहा था. क्योंकि अब अबकी सिस्कारियां दर्द वाली नहीं . मज़े वाली आ रही थीं. मैंने भी स्पीड बढ़ा दी.
आकांक्षा भी नीचे से कूल्हे हिलाने लगी थी और मस्ती आवाजें निकलाने लगी थी- उन्ह . हाँ कुणाल . बहुत अच्छा लग रहा है . उह हहह आह हहहह . बस ऐसे ही करो.
पूरे कमरे में हमारे मिलन की आवाज़ गूंज रही थी.
तकरीबन 10 मिनट की चुदाई के बाद आकांक्षा एकदम अकड़ने लगी. मैं समझ गया कि आकांक्षा झड़ रही है. मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी. दस बारह धक्के मारने के बाद मैं भी आकांक्षा के अन्दर ही झड़ गया और आकांक्षा के ऊपर ही लेट गया.
हम दोनों की ही सांस फूली हुई थी.
कुछ देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद आकांक्षा ने धीरे से मेरे कान में कहा- बाबू अब हटो न . मुझे पेशाब लगी है . मुझे बाथरूम जाना है.
मैंने पहले आकांक्षा को देखा, उसने शर्मा कर अपनी आंखें बंद कर लीं. मैंने उसके माथे पर प्यार किया और एक तरफ को लुढ़क गया.
आकांक्षा ने उठना चाहा, लेकिन दर्द के मारे उससे उठा नहीं गया. उसने मेरी तरफ देखा, तो मैं समझ गया. मैं उठा और उसे गोद में उठाकर टॉयलेट में लेकर गया. वहां उसको टॉयलेट करवाया और वापस लेकर आया.
आकर मैंने देखा कि बेडशीट पर खून लगा है. आकांक्षा ये देख कर घबरा गई- अब क्या होगा . ये तो सारी चादर खून में खराब हो गयी.
मैं- कोई बात नहीं, ये मैं बदल दूंगा. ये वाली बेडशीट में ले जाऊंगा. आखिर ये हमारे प्यार की पहली निशानी है.
इतना सुनते ही आकांक्षा शर्मा गयी और उसने मेरे गले में बांहें डाल दीं.
कुछ देर हम वहीं रहे . आराम किया. जब आकांक्षा का दर्द कम हुआ, तो हम वहां से बाहर निकले. जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला, सामने वाले घर के बाहर एक शादीशुदा महिला बैठी थी, जो हमें ही घूर रही थी.
पहले तो मैंने इग्नोर किया और वापस मुड़कर ताला लगाया. फिर जैसे ही पीछे पलटा वो औरत अभी भी घूर रही थी.
तब तक आकांक्षा बाइक के पास जा चुकी थी, लेकिन दर्द की वजह से उसकी चाल में अभी भी लंगड़ापन दिख रहा था.
मैंने जल्दी से बाइक स्टार्ट की, आकांक्षा को बिठाया और वहां से आ गया.
ये कहानी यूं तो पूरी हो गयी है, लेकिन अभी भी सेक्स कहानी में बहुत बाकी है अपना एक एक पल मैं आपके साथ शेयर करूँगा, लेकिन मुझे आपका साथ चाहिए. प्लीज अगर कोई गलती हुई हो तो माफ कीजिएगा, ईमेल ज़रूर कीजिएगा.
दोस्तो, यह थी मेरी कॉलेज लाइफ में पहली बार कुंवारी चूत की चुदाई की कहानी, जिसकी यादें आज भी ऐसे ही ताज़ा हैं, जैसे कि ये कल की बात हो.
उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरे पहले सेक्स की स्टोरी पसन्द आई होगी. अपनी राय देना न भूलें.
आपका अपना कुणाल
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