Didi Ki Chudai Ki Hawas
दीदी का साथ भी मेरे सर पर था, शायद वो मेरे होंठों में अपने दूध देना चाहती थी. मगर मैंने उसको आंखों से चोदते हुए होंठ गोल किये और बिना सीटी बजाए एक ठंडी हवा का झोंका उसके गालों पर मारा.
दीदी ने अपनी आंखें मूंद लीं और मुस्कुरा दी. इस समय मेरी दी सिर्फ पैंटी में मेरे सामने आंखें मूंदी लेटी थी.
तभी उसका हाथ मेरी पैंट पर गया . तो मैंने भी फटाफट अपने सभी कपड़े उतार फेंके और दी की चुत की सवारी की तैयारी शुरू कर दी.
मैं नंगा होकर दीदी पर चढ़ गया और उसके मस्त दूध से गोरे बड़े और मेरे पसन्दीदा मम्मों को मैं बारी बारी से अपने मुँह में लेता और जब तक एक चूचा मेरे मुँह में रहता, तब तक दूसरा दूध मेरे मुट्ठी में आटे सा गूंथता रहता.
फिर मैंने एक हाथ से उसके चुचे को पकड़ा तथा दूसरे हाथ से उसकी जांघों और पैंटी के ऊपर से स्वर्ग के दरवाजे को सहलाना चालू कर दिया. मैं पैंटी के ऊपर से ही दीदी की चुत को दबाता और गीली हो चुकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चुत की फांकों में उंगली को अन्दर करने की कोशिश करने में लग गया.
वाह . सच में कितना मजा आ रहा था. अपनी ही बहन के गुप्तागों से खेलते हुए मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
इस सबके बीच तो मानो जैसे दी की हालत एकदम खराब हो गयी थी. लेकिन मैं तो अपनी ही धुन में मस्त था. उसकी चूचियों को चूसने के बाद मैं उसकी जांघों को चूमते हुए उसकी पैंटी निकाल फेंकी.
आह . क्या मस्त चुत का नजारा मेरे सामने था. मेरी दी की गद्देदार पावरोटी की तरह उसकी चुत एक मस्त छटा बिखेर रही थी. मुझे रहा ही नहीं गया और दीदी की चुत को ऊपर से ही जैसे ही किस किया, मेरी दी एकदम से ऐसे सिहर उठी, मानो उसे कितना बड़ा करंट लग गया हो.
उसने जोर से मुझे ऊपर खींचते हुए अपने आपसे चिपका लिया और जोर से पकड़ कर भींचने लगी. मैं समझ गया कि लोहा गर्म है, हथौड़ा मार देना चाहिए.
तभी मैं उसके एक दूध को चूमते दबाते नीचे की तरफ आया और अपने घुटने पर बैठ गया. मैंने उसकी कमर के नीचे तकिया लगाकर दोनों पैरों को अपनी कमर पर रख लिया. अब उसके टांगें एक तरह से मेरी कमर से लता सी लिपटी हुई थीं और लंड का स्पर्श चुत से हो रहा था.
मैं बीच में चुदाई की पोजीशन बनाते हुए बैठ गया. इसी के साथ मैंने अपने हथियार को चुत के दरवाजे पर रख कर हल्का सा धक्का दे दिया, जिससे मेरे लंड का सुपारा उसकी चुत को होंठों को चीरते हुए थोड़ा सा अन्दर घुस गया, जिससे मेरी दी ने आह की आवाज निकली.
लंड एक तरह से किसी जगह अटक सा गया था. इसके बाद मैंने अपने शरीर का सारा भार दी के ऊपर डाला और एक जोर का धक्का लगा दिया. एक ही झटके में मेरा पूरा लंड अपनी दीदी की चिकनी चुत के घर में सड़ाक से घुस गया.
दीदी ने एक हल्की सी आह भरी- उई माँ मर गई!
मैं लंड डाल कर रुक गया.
फिर उसने अपने होंठों को अपने दांतों से काटते हुए आंखें फिर से बन्द कर लीं और मुझे अपनी बांहों में कसके जकड़ लिया.
कुछ देर इसी अवस्था में रहने के बाद मैंने अपना काम शुरू किया और मैं चुत में धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. हर धक्के के साथ मैं एक अलग ही स्वर्ग का मज़ा ले रहा था. कुछ ही पलों के मीठे दर्द के बाद ये मजा, अमृतधारा जैसा बहने लगा.
मेरा लंड अपनी बहन की चुत की बच्चेदानी तक चोट मारने में लगा था. मेरी बहन मेरे लंड के नीचे अपनी चुत का भोसड़ा बनावाने का आनन्द ले रही थी. सटासट लंड चुत में शंटिंग कर रहा था. मेरी दीदी ने मजा लेते हुए अपनी दोनों टांगें हवा में उठा दी थीं. दीदी के मुख से ‘उम्म्ह. अहह. हय. याह.’ जैसी सिसकारियां निकल रही थी.
जब भी चुदाई के समय चुत चुदवा रही लड़की खुद ब खुद अपनी टांगें हवा में उठा देती है, तो ये इस बात का पक्का सुबूत होता है कि लौंडिया को चुत में लंड लेने में हद से ज्यादा मजा आ रहा है. इस समय चुत अपनी आग बढ़ाने का काम भी करती है . जिससे लंड का पिघलना भी जल्दी होने लगता है. इस समय बड़े संयम की जरूरत होती है और ये ध्यान रखना पड़ता है कि कहीं चुत प्यासी न रह जाए.
हम दोनों भाई बहन एक दूसरे के साथ चुदाई के खेल में मस्त थे. मेरे लंड पूरी ताकत से आगे पीछे होता हुआ मेरी फुफेरी बहन की चूत को सुख शान्ति देने में लगा हुआ था.
मेरे लंड के हर धक्के के साथ दी की नई नई सिसकारियां मेरे मज़े को डबल कर दे रही थीं. उसकी हिलती हुई चूचियां मेरे सीने को अपनी रगड़ का पूरा मजा दे रही थीं.
आज मुझे अन्तर्वासना की भाई बहन की एक सेक्स की कहानी याद रही थी. उसमें लिखी ये बात बिल्कुल सही थी कि मज़ा तो अपनी ही बहन को चोदने में आता है. मैं उस कहानी को याद करते हुए अपनी की धकापेल चुदाई किये जा रहा था.
अब तो मेरी दीदी की गांड भी उठ कर मेरे लंड से लड़ने की कोशिश कर रही थी. हम दोनों की उत्तेजना अपने चरम पर आने लगी थी. हर धक्के के साथ मेरी स्पीड भी बढ़ती गयी और दी की सिसकारियां भी.
फिर एक क्षण ऐसा आया, जब हम दोनों अपने चरमगति को प्राप्त हो गए. दीदी की चुत में भाई के लंड ने दम तोड़ दिया था. कुछ पल अपनी सांसों को नियन्त्रण में लाने प्रयास होता रहा. फिर मेरी बहन मुझे देख कर हंसने लगी. उसने मुझे चूम लिया.
इस तरह मैंने अपनी दीदी की चुदाई की. मैंने ये पूछना ठीक नहों समझा कि अब तक वो किससे चुदवाती रही थी.
मुझे मेल करके जरूर बताएं कि भाई बहन के रिश्तों में चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी. मुझे आप सब पाठकों की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा, धन्यवाद.
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